पुनर्विवाहित युगल को किस धार्मिक कार्य की अनुमति नहीं है?

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शंका

पुनर्विवाहित युगल को किस धार्मिक कार्य की अनुमति नहीं है?

समाधान

हमारे यहाँ शास्त्र का विधान तो यही है कि किसी स्त्री के साथ इस तरह का वियोग होता है, तो वो परमार्थ के रास्ते पर चले, उसके लिए सन्यास का मार्ग है, ब्रह्मचर्य का मार्ग है, यही आदर्श मार्ग है और कोई स्त्री विधवा होने के बाद यदि ब्रह्मचर्य के मार्ग को अंगीकार करती है, तो बहुत साहस व पराक्रम की बात है। समाज को उसका हृदय से सत्कार करना चाहिए। 

आज एक युवती मेरे पास आई जिसका विवाह हुए २ वर्ष हुए और अभी कुछ दिन पहले उसके पति का वियोग हुआ। मैंने उससे पूछा “क्या बात है? आगे के लिए तुम क्या चाहती हो? दूसरा विवाह करना चाहती हो क्या?” वह बोली- ‘महाराज! मैं भूलकर भी ऐसा नहीं करना चाहती।’ मैंने कहा “बहुत अच्छा संकल्प है, तुम्हारा बहुत अच्छा भाव है, ऐसे ही भाव को अपने हृदय में विकसित करके रखना चाहिए, ये तो आदर्श है।”

अब रहा सवाल जो व्यक्ति कर ले उनके लिए क्या किया जाए? जो couple (युगल) ऐसा करते हैं, उन लोगों से हम लोग आहार नहीं लेते क्योंकि यह एक दोष है। हम लोगों को गुरु आज्ञा नहीं है, पर इससे पूरे परिवार को हम लोग वंचित नहीं करते। इसमेंं परिवार का कोई दोष नहीं और अगर उनसे कोई बच्चे हों, तो उनका भी कोई दोष नहीं। उस युगल से केवल एक गलती हुई है। उसके प्रायश्चित का एहसास कराने के लिये उन्हें आहार दान से वंचित रखते हैं, अन्य क्रियाओं से नहीं।

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