जब हम णमोकार मन्त्र की माला जपते हैं तो उस समय दिमाग में और दिल में क्या होना चाहिए?
अश्विनी जैन, बापूनगर, जयपुर
दिल और दिमाग में सिर्फ णमोकार के अलावा कुछ नहीं होना चाहिए। ऐसा सोचना चाहिए कि “हम एक ऐसे मन्त्र का जाप करने जा रहे हैं जिससे श्रेष्ठ और कोई जाप नहीं है। जिस मन्त्र के उच्चारण मात्र से पाप कटते हैं, एक बार पढ़ने मात्र से 500 सागर के पाप कट जाते हैं, जिसके एक अक्षर के उच्चारण मात्र से 7 सागर के पाप कटते हैं, जिसके एक पद, जैसे- णमो अरिहंताणं, के उच्चारण से 50 सागर के पाप कटते हैं और पूरा मन्त्र पढ़ लेने से 500 सागर का पाप कटता है, मैं ऐसे णमोकार को जप रही हूँ। मैं ऐसे णमोकार को जप रही हूँ जिसमे पंच परमेष्ठियों का स्मरण है, जो लोक में सर्वश्रेष्ठ हैं। मैं पंच परमेष्ठी का जाप कर रही हूँ। पहले दिमाग में यह बात रखो।
दिल में णमो अरिहंताणं में अरिहंतों को नमस्कार, णमो सिद्धाणं में सिद्धों को नमस्कार, णमो आइरियाणं में आचार्यों को नमस्कार, णमो उवज्झायाणं में उपाध्याय को नमस्कार, णमो लोए सव्व साहूणं में सर्व साधु को नमस्कार हो यह भाव अन्दर रखो, मन कहीं नहीं जाएगा।
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