मानसिक रूप से विक्षिप्त या विकलांग कैसे अपना भव सुधारें?

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शंका

इसकी २२ वर्ष की उम्र है और महाराज इसका प्रश्न यह है कि “मैं जन्म से ही ऐसा हूँ, ऐसा किस कारण से हुआ? इसकी कोई दिक्कत नहीं है, परंतु मैं अपना यह जन्म कैसे सुधार सकता हूं?

समाधान

पहली बात, यह निश्चित रूप से अशुभ कर्म का उदय है, जिसके कारण कोई भी मंदबुद्धि या विकलांगता को प्राप्त करता है। इसका मूल कारण दूसरों का उपहास करना, मजाक उड़ाना, खिल्ली उड़ाना, किसी को सताना, किसी के शरीर के अंगों को छेड़ना हो सकता है। इसका नतीजा यह निकलता है, कि व्यक्ति शरीर और मन से विकृत हो जाता है। इस बच्चे के लिए मैं चाहता हूँ कि यह भगवान का नाम ले, णमोकार मंत्र जपे, अपने अंदर भक्ति जाग्रत करे, इनसे यह जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन ला सकता है। 

मध्य प्रदेश में मैं जब था, तो वहाँ एक छोटा सा धनोरा गाँव है, धनोरा गाँव में ऐसा ही एक बच्चा था, जो लगभग २२ साल का था, बोल नहीं पाता था। परंतु उसमें गुरु भक्ति बहुत थी। उसमें गुरू भक्ति इतनी थी कि कोई भी साधु आता तो सबसे पहले लेने के लिए जाता। वह पाँच-सात किलोमीटर चला जाता, झंडा लेकर के आगे चलता था, रोज मंदिर में भगवान के पास जाता और अपने भाषा में जो भगवान से प्रार्थना करता। लेकिन आप सब को सुनकर आश्चर्य होगा कि तेईस-चोबीस साल की उम्र में सबसे पहले उसके मुंह से नमो अरिहंता नम: निकला और अब कुछ कुछ बोलने लगा है। उसके जैसी भावना भाये, इस भव में भी सुधार हो सकता है, आप इसके लिए ऐसी भावना भाइए जिससे इसका जीवन बदले।

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