शंका
हमारे जीवन में सुख और दुःख दोनों निरन्तर रूप से चलते हैं। सुख आता है तब हम लोग बहुत आराम से रहते हैं, श्रद्धा भी नहीं होती है, लेकिन जब दुःख आता है, तो बहुत विचलित हो जाते हैं। हमारे जीवन में दुःख का मुख्य कारण मोहकर्म है, ये कहना सरल है पर करना कठिन। हम मोह को कम करने के लिए क्या करें?
समाधान
बस जिनका मोह खत्म हो गया है, जिन्होंने मोह को क्षीण कर लिया है, उनके पीछे लग जाओ। निर्मोही के संसर्ग में जाओगे तभी मोह को जीत पाओगे। सत्संग वैराग्य की उत्पत्ति का एक श्रेष्ठ निमित्त है।
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