खाने में किसी त्यागी वस्तु का चम्मच लग जाये तो क्या करें?

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शंका

खाने में किसी त्यागी वस्तु का चम्मच लग जाये तो क्या करें?

समाधान

किसी चीज़ त्याग है उसकी चम्मच चली गयी खाने में, क्या किया जाए? कुछ नहीं किया जाय। चम्मच गई, चीज थोड़ी गई? 

देखो, एक बात बोलता हूँ। आप लोगों में यह बहुत लगा-लाग की बातें होती है। यह छुआ गया, वो छुआ गया बहुत करते हैं। आपको मैं एक बात बताता हूँ मूलाचार की। मूलाचार में मुनियों के लिए बताया गया है, मल दोष के अंतर्गत कि किसी मुनि महाराज की अंजली में, बहुत ध्यान से सुनना, यदि कोई कंद या कण आ जाए, कंद का मतलब जमीकन्द, दूसरे शब्द में कहूं तो आलू या अदरक जैसी कोई चीज, वह अंजली में आ जाए, मुनि महाराज की अंजली में यदि कोई कंद याने आलू अदरक जैसी सामग्री आ जाए, तो महाराज जी क्या करेंगे? क्या करेंगे? अंतराय करेंगे? उसमें लिखा कि आ जाए तो अंतराय नहीं करें। उसे अलग करके भोजन ग्रहण कर लें। अंतराय कब करें कि उसे हटाने के चक्कर में पूरा ग्रास अलग करना पड़े तब अंतराय करें। तब अब बताईये जमीकंद का तो जन्म से त्याग, धोखे से आ गया, कंद आ जाय, बीज आ जाय, कण आ जाए तो उसको अलग कर दें। उसको अलग कर के आहार ले सकें। 

तो हम आपसे कहते हैं, मान लीजिए किसी का टमाटर का त्याग है। लौकी ले रहें टमाटर की चम्मच लौकी में लग गई तोे ‘ऐ, छुवा गई, हम नही खायें। तो वे लोग मुनि महाराज से भी आगे के हो गए? क्या बोले? नहीं, ऐसा नहीं करना। एक दुसरे में चम्मच स्पर्श आदि, कई बार हाथ लग जाता है तो लोगों को बड़ी तकलीफ़ होती हैं। खासकर यह बुजुर्ग मातायें होती हैं ना उनका सोला, स्पेशल सोला होता है। मुनियों से भी ज्यादा। यह ठीक बात नहीं है। इसको चेंज करो। और इसी कारण नई पीढ़ी के साथ तालमेल नहीं होता। लेकिन इसका मतलब यह नहीं फिर ध्यान ही नहीं रखो। यह भी गड़बड़ है। लगाओ मत, लग जाए तो नाराज मत हो। जान बूझ कर मत लगा दो। धोखे से लग जाए तब। नही तो तुम लोग कहोगे कि महाराज आज तो हम आपके अंजली में आलू डालेंगे। तो तुम डालोगे तो अन्तराय करूँगा। और डला हुआ कोई कंडद आ जाएगा तो देख कर काम करूँगा। अगर कोई मेरे हाथ में जान बूझ कर डालेगा। आ गया तो खा लेंगे। अगर आ गया धोखे से कोई भी कंद तो आगम के विधानानुसार उस में कंद, कण, बीज, उसको बताया कि उसको अलग करके, बशर्त है उसको अलग करने के पीछे ग्रास हटाना ना पड़े। ग्रास हटाना पड़े और ग्रास प्रमाण भोजन हमारा वेस्ट हो तो अंतराय। लेकिन क्या बोला? जान बूझ के लगाओगे तो अन्तराय करेँगे। इसी प्रकार तुम जानबूझ के एक दुसरे की चम्मच लगाओ और तुम्हारे घर की बड़ी बुजुर्ग महिलाएं नाराज हो तो ठीक बात है। जान बूझ के करोगे तो नाराज हो, लेकिन लग जाय तो नाराज नहीं। लगाना और लग जाने में अंतर है। लगाना नहीं चाहिए और लग जाने पर आपको नाराज नहीं होना चाहिए।

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