लिए हुए नियमों में प्रमादवश दोष लगे तो क्या करें?

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शंका

यदि लिए हुए नियमों में कभी, प्रमादवश, दोष लगता है, तो उसके लिए हमें क्या करना चाहिए?

समाधान

जो हमारा संकल्प है उसमें प्रमादवश कभी शिथिलता नहीं होनी चाहिए। अन्य धार्मिक व्यस्तता वश यदि कभी कोई कमी हो जाये तो जैसे ही उससे फ्री हों तो उससे दुगना प्रायश्चित स्वरूप कर लेना चाहिए। प्रायश्चित का अर्थ है कि जितना छूटा उससे डबल कर लो।

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