क्या मनुष्य जीवन एक बार ही मिलता है? इसे सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए क्या करें?
मुकेश चौधरी, जोधपुर
मनुष्य जीवन एक बार नहीं, अनेक बार मिलता है, पर बहुत दुर्लभता से मिलता है। कदाचित मनुष्य जीवन हर कोई पा सकता है, यह सुलभ है। लेकिन मनुष्यता की प्राप्ति बहुत दुर्लभ है। बस एक ही लक्ष्य लेकर के चलें- “हमने मनुष्य जीवन को पाया, अब हमें मनुष्यता को पाना है।” मनुष्य का जीवन मिट्टी के लौंदे की तरह है। मिट्टी के लौंदे से मंगल कलश भी बना सकते हैं और शराब की कुल्लड़ भी। उस मिट्टी के अन्दर दोनों की सम्भावनाएँ हैं। ऐसे ही इस धरती पर जन्म लेने वाले मनुष्य अपने जीवन को ऊँचा भी उठा सकते हैं और अपने जीवन का पतन भी कर सकते हैं। जो मनुष्य जीवन को पाकर मानव जीवन को आत्मसात करते हैं, वे ही अपने जीवन को सफल बनाते हैं, सार्थक बनाते हैं। हम सब का एक ही लक्ष्य होना चाहिए-“मानव मात्र में मानवता की प्रतिष्ठा”।
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