जब किसी भी इंसान का स्वास्थ्य बहुत खराब हो और निरंतर खराब होता जा रहा हो और डॉक्टर लोग उसे बोल दें कि “भैया, बचने की उम्मीद कम है”, तो उसे क्या करना चाहिए?
अगर आस पास कोई गुरुजन हैँ, तो उनके चरणों में ले जाना चाहिए। और यदि ऐसी संभावना नहीं है, तो सबसे पहले अस्पताल से घर लाना चाहिए। अस्पताल में बहुत ज्यादा नकारात्मक ऊर्जा होती है, क्षेत्र का परिवर्तन करो। उस व्यक्ति के अंदर यदि चेतना है और होश-हवास है, तो उसको सम्बोध करके कुछ त्याग कराओ। त्याग विचार और विवेक पूर्वक कराओ। एक साथ सब चीजों का त्याग नहीं करायें और जल का त्याग कभी कराना नहीं चाहिए। जितना बने उतना देते रहना चाहिए। उसे सम्बोधो, भेद विज्ञान का स्मरण कराओ, उसके अंदर के उत्साह को बढ़ाओ, सामने वाले की सहन शक्ति को बढ़ाओ, अपने उपदेशों से उसके आर्त ध्यान का शमन करो और वह आत्म ध्यान बन सके और णमोकार सुनते-सुनते प्राण त्यागने का सौभाग्य पा सकें, ऐसा प्रयास करो। उससे बहुत फर्क पड़ता है।
आप यहां आए हुए दीपचंद जी का उदाहरण ले लीजिए। अस्पताल में उनकी दशा कुछ और थी और आज सुबह से शाम में उनकी स्थिति कुछ और हो गई है। अंदर की क्षमता बढ़ती है, जागरूकता अच्छी होती है और ऐसे जीव का अतिशीघ्र कल्याण होता है।
Leave a Reply