शंका
श्री देव-शास्त्र-गुरु पर मेरी पूरी श्रद्धा है। सुबह हम सभी लोग (विभिन्न मत मानने वाले भी) वॉकिंग पर जाते हैं तो रास्ते में दो मंदिर पड़ते है एक जैन और एक वैष्णव। हम सभी लोग दोनों मंदिरों के दर्शन करते हैं लेकिन वैष्णव मन्दिर में मेरी भावनाएँ बनती ही नहीं हैं, क्या करूँ?
समाधान
आप न जैन मन्दिर के दर्शन करें न वैष्णव मन्दिर के दर्शन करें, आप वीतरागता के दर्शन करें। जहाँ वीतरागता हो वहाँ शरणागत हो जाएँ और जहाँ राग हो वहाँ समझदारी से काम करें।
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