आतंकवादियों की क्या गति होगी?

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शंका

अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाले आतंकवाद में वे निर्दोष व्यक्तियों को हजारों की तादाद में मार देते हैं। उन जीवो की क्या गति हुई होगी, क्या बन्ध होगा?और दूसरा हमारी भारतीय संस्कृति और धर्म के ऊपर भी क्या दूरगामी प्रभाव होगा क्योंकि हमने पाया है कि अट्ठारहवीं, उन्नीसवीं शताब्दी में दक्षिण भारत से कोई भी मुनि उत्तर भारत नहीं जा पाया, १९२५ के लगभग आचार्य शांतिसागर महाराज जब उत्तर भारत की ओर गए तो उनको कई जगह से बड़ी बाधाएँ हुई जैसे हैदराबाद निजाम से, तो क्या इसके प्रभाव होंगे?

समाधान

देखिए, पहली बात तो अपनी धारणा बदलें, हैदराबाद निजाम की तरफ से कोई बाधा नहीं आई अपितु शांति सागर जी के महाराज का प्रभाव ऐसा रहा कि हैदराबाद का निजाम ने अपनी बेगमों के साथ शांति सागर जी महाराज की आरती उतारी थी। ये धर्म प्रभावना का बहुत बड़ा रूप था। लोगों के द्वारा जो बाधा आई उसके पीछे एक ही कारण था, वह था अज्ञानता। दिगम्बर साधु का निर्बाध विचरण जब इधर काभी नहीं हुआ, उन्होने उस रूप को देखा नहीं तो समझे नहीं, लेकिन जब मालूम पड़ा तो उन्हें समझ में आया कि महासाधु है, नंगा फकीर नहीं; तो ये बहुत अन्तर आता है।

रहा सवाल आतंकवाद का, जो आतंकी है नियमत: नरकगामी है, वे दुर्गति के पात्र होंगे। आज वह ऐसे दुष्कृत्य कर रहे हैं उनकी आत्मा की दुर्गति निश्चित रूप से होनी है। रहा सवाल इस आतंकवाद का अन्त कैसे हो? हम भगवान महावीर के आत्मवाद का विस्तार कर दें, आतंकवाद अपने आप समाप्त हो जाएगा।

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