क्षायिक सम्यग्दर्शन और उपशम सम्यग्दर्शन कब होता है?

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शंका

क्षायिक सम्यग्दर्शन और उपशम सम्यग्दर्शन कब होता है?

समाधान

क्षायिक सम्यग्दर्शन तो केवली श्रुत केवली के पाद-मूल में ही होता है पर जिन-बिम्ब के दर्शन से उपशम सम्यग्दर्शन होता है। धवला आदि में लिखा है कि जिनेन्द्र भगवान के बिम्ब के दर्शन से प्रथम उपशम यानी साक्षात् जिन बिम्ब के रूप में उत्पत्ति देखी जाती है। जिन बिम्ब दर्शन सम्यग्दर्शन को प्रकट करता है और क्षायिक सम्यक की प्राप्ति के लिये साक्षात् केवली के रूप में अथवा श्रुत केवली के रूप में उनका पाद मूल गुण आवश्यक है।

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