कर्मो का फल कब मिलता है?

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शंका

यह कहा जाता है कि ‘जो कर्म हमने पहले किए हैं उनका फल हमें आज मिलता है और जो आज करते हैं उसका फल हमें बाद में मिलेगा!’ तो ऐसी कोई व्यवस्था क्यों नहीं हुई कि जो हम कर्म आज करें उसका फल आज मिल जाए ताकि दुनिया में से सारे भ्रष्टाचार और जितने भी बुरे कर्म हैं, सब मिट जाएं?

समाधान

आज के कर्म का फल आज नहीं, अभी मिलता है। किसने कहा कि आज का फल कल मिलेगा? आज का फल अभी मिलता है। तुम अभी प्रश्न कर रही हो, एक अच्छा कार्य कर रही हो, तुमको प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है या टेंशन हो रहा है? प्रसन्नता है ना? यह किसका फल है? अच्छे कर्म का फल है। देखो, आपको उदाहरण देता हूँ, अगर आप राह चलते किसी भिखारी या किसी गरीब को दो रोटी खिलायें, रोटी खिलाने के कितनी देर बाद सन्तुष्टि आएगी? तुरन्त! और आपने किसी के जेब से रुपया निकाला, रुपया निकालने के बाद आपके मन में टेंशन कितनी देर बाद आएगी? तुरंत! समझ में आ गया। अच्छे कर्म का फल भी तुरन्त मिलता है और बुरे कर्म का भी फल भी तुरन्त मिलता है।

यह तुम्हारा नहीं तुम जैसे अनेक युवक-युवतियों का यह प्रश्न है। कुछ कर्मों का फल तुरन्त मिलता है और कुछ का फल कालान्तर में मिलता है। कैसे मिलता है, समझो। पुण्य का प्रत्यक्ष फल क्या है:- प्रसन्नता व सन्तुष्टि; और पाप का प्रत्यक्ष फल क्या है:- सन्ताप व तनाव! पुण्य किया, प्रसन्नता आई, सन्तोष मिला। पाप किया, टेंशन आया, सन्ताप मिला। एकदम तुरन्त! लेकिन यह तो हुआ प्रत्यक्ष फल। एक पारंपरिक फल होता है, वह क्या? पुण्य का पारंपरिक फल सुख-समृद्धि है। पाप का पारंपरिक फल दुख-दारिद्र है। समझ गए तो पुण्य तुरन्त फलता है, सुख- समृद्धि में थोड़ा टाइम लगता है और पाप भी तुरन्त फलता है, दुःख दारिद्र में थोड़ा टाइम लगता है, यह दोनों चलता है।

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