शंका
जब आत्मा की मृत्यु ही नहीं होती तो आत्महत्या कैसे’?
समाधान
सबसे पहले आत्मा, आत्महत्या, संल्लेखना तीनों के अर्थ को समझो। ‘आत्मा’ हमारा शाश्वत स्वरुप है, जिसका न जन्म है, न मरण है। वह अरूपी, शुद्ध, ज्ञाता द्रष्टा तत्व है। इसको बहुत विरल लोग ही पहचानते हैं और जो आत्मा को पहचानते हैं वह कभी अपने जीवन में आत्महत्या जैसा कृत्य करते नहीं हैं।
आपने यह सवाल किया है की, ‘जब आत्मा की मृत्यु ही नहीं होती तो आत्महत्या कैसे’? वस्तुतः यहाँ आत्महत्या में जो ‘आत्म’ शब्द का प्रयोग हुआ है, वह आत्मा की हत्या से जुड़ा हुआ नहीं है। यहाँ ‘आत्महत्या’ का मतलब स्व के द्वारा स्व की हत्या, स्वयं के द्वारा अपने ही शरीर का विघात जो किया जाता है, वह आत्महत्या कहलाती है ‘सल्लेखना’ आत्महत्या नहीं, आत्महत्या जुर्म है और सल्लेखना हमारा धर्म है।
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