शंका
कहते हैं कि ‘नेकी कर कुएँ में डाल’। परन्तु जब मैं किसी का अच्छा करती हूँ तो अक्सर परिणाम उल्टा आ जाता है, इससे मन में विकार उत्पन्न होता है। ऐसा क्यों?
समाधान
ऐसा सोचो कि “पिछले जन्म में मैंने किसी अच्छा करने वाले की आलोचना की होगी, इसलिए मुझे अवसर नहीं मिलता, प्रशंसा नहीं मिलती, प्रोत्साहन नहीं मिलता।” इसलिए अब और भी अच्छा कार्य करो, कि लोगों को प्रशंसा करनी पड़ जाये।
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