परम पूज्य बारंबार नमन। मन्त्रों का प्रादुर्भाव कब, क्यों और कैसे हुआ? ये बीजाक्षर, दुग्दाक्षर या आदि जो मन्त्र हैं, वह लाभदायक तो होते हैं, तो क्या आदमी को यह अनिष्टकारक भी हैं?
आपने पहले सवाल किया है कि मन्त्र का निर्माण कब, क्यों और कैसे हुआ? जब से धर्म है, तब से मन्त्र है। धर्म अनादि से है, इसलिए मन्त्र भी अनादि से है क्योंकि मन्त्र हमारी आत्म आराधना या आत्म साधना का एक सशक्त माध्यम है। मननात् मन्त्र, जो मनन किया जाये वह मन्त्र है। या जो हमारे मन को तारे उसका नाम मन्त्र है, त्रायते अनेन तत्त मन्त्रं, तो हमारे लिए, जिसमें हमारे लिए मन्नते, चिंतिते आत्म देशों स: मन्त्र, जिसके आधार पर अपनी आत्मा का चिन्तन किया जाए, उसका नाम मन्त्र। तो जब से आत्मा की आराधना की बात है, तब से धर्म है और जब से धर्म है तब से मन्त्र है। मन्त्र का मूल्य लक्ष्य आत्म साधना, चेतना का विशुधीकरण, चित्र का निर्मलीकरण। कालान्तर में मन्त्र के साथ अनेक तरह के अनुष्ठान जुड़े और भौतिक लाभों की आकांक्षा से भी मन्त्रों का आराधन किया जाने लगा। कुछ अंशो में मन्त्रों का भौतिक प्रभाव भी होता है, लेकिन यह हमारे यहाँ कभी भी ध्येय रूप में स्वीकृत नहीं रहा। इसे गौण रूप से स्वीकार किया गया। यह हमारा लक्ष्य नहीं रहा, यह हमारा इष्ट नहीं रहा। लेकिन धीरे-धीरे एक युग ऐसा आया जिसमें वाम मार्ग का प्रवर्तन हुआI तो मन्त्र और तन्त्र का मुख्य उद्देश्य आत्मा का निर्मली करण न रहकर केवल भौतिक संसाधनों की प्राप्ति हुई, और इस युग में मारण, उच्चाटन, विद्वेषण, वशीकरण, स्तंभन, मोहन जैसे मन्त्रों का खूब ज़्यादा प्रवर्तन हुआ। इस युग में मन्त्र का दुष्प्रभाव, दुरुपयोग भी हुआ और इससे लोगों का अनिष्ट भी हुआ। एक णमोकार ऐसा मन्त्र है, जिससे कभी किसी का अनिष्ट नहीं होता, सब की पुष्टि ही होती है। इसलिए इसे अनादि सिद्ध मन्त्र कहा गया। तो मन्त्र मन्त्र के रूप में है, उसे उसी रूप में समझना चाहिए। उसे मन्त्राधिराज कहाँ गया। आज सुबह एक युवक ने मुझसे कहा महराज जब णमोकार मन्त्र अपने आप में सब मन्त्रो का राजा है, तो इतने सारे मन्त्र क्यों बनाए। हम बोले भैया राजा अकेले रहेगा, तो राजा कहाँ से रहेगा, प्रजा रहेंगे तभी तो राजा का मज़ा है। तो एक मन्त्र राजा है, बाकि मन्त्र प्रजा है। जैसे राजा का अस्तित्तत्व है, वैसे ही प्रजा का अस्तितत्व है। इसलिए सब मन्त्रों का अपना अपना प्रभाव है। जहाँ तक आप मुझसे सलाह माँगोगे, मन्त्र का प्रयोग क्यों करें? तो शांति और पौष्टिक कर्म में ही मन्त्र का प्रयोग करें। हम क्रूर कार्य में क्रूर कर्म में गलत उद्देश्य से मन्त्र का प्रयोग कभी न करें। ऐसा लक्ष्य बनाकर हम चलेंगे तभी अपने मन्त्रों का सार्थक परिणाम घटित कर सकेंगे।
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