शंका
ऐसा कौन सा ग्रंथ है जिनको श्रावक और मुनिराज नहीं पढ़ सकते हैं उनको सिर्फ आचार्य ही पढ़ सकते हैं? ऐसा क्यों?
समाधान
प्रायश्चित ग्रंथ को पढ़ने की आज्ञा केवल आचार्य को है, क्योंकि दण्ड विधान यदि मुनि पढ़ लेगा तो अपनी चर्या में वो स्वतंत्र हो जायेगा। उसे पहले से ही पता चल जायेगा कि इस दोष का ये दण्ड है, तब वह खुद ही दोष करेगा और खुद ही दण्ड लेने लगेगा। इसलिए प्रायश्चित ग्रंथ जिसे छेदसूत्र की संज्ञा दी गई। छेदसूत्र को पढ़ने का अधिकार आचार्य को है अथवा आचार्य की आज्ञा से चिर दीक्षित मुनि को; इसके अलावा अन्य किसी को नहीं है।
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