शंका
दान चार प्रकार के है तो चारों में श्रेष्ठ दान कौन सा है?
समाधान
दान तो अपने आप में सभी श्रेष्ठ हैं । दान करना श्रेष्ठ कर्म है। जिस समय जिस दान की आवश्यकता है वही सबसे श्रेष्ठ दान है । यदि मैं आहार दान को श्रेष्ठ कह दूँ और मान लीजिये कि साधु बीमार हो गया उस दिन तो आप कहेंगे कि मैं तो आहार दान ही दूँगा क्योंकि महाराज कहते है जो श्रेष्ठ है वही करना चाहिए। औषध दान श्रेष्ठ है तो आप दवाई लेकर खड़े रहेंगे कि मैं तो दवाई खिलाऊँगा, रोटी नहीं खिलाउंगा, सब गड़बड़ हो जायेगा। सभी दान अपने आप में श्रेष्ठ है और जो भी दान हो उसे अपने जीवन का श्रेष्ठ कर्म मानकर प्रसंग और परिस्थिति के अनुरूप करें।
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