शंका
कौन से पुण्य के उदय से धार्मिक क्रिया में मन रमता है?
समाधान
पुण्य के उदय में ही धर्म की क्रियाओं को करने का मन बनता है, महापुण्य के उदय में धर्म की क्रिया करने की अनुकूलता आती है और परम पुण्य के उदय में धर्म की क्रिया करने में मन लगता है।
धर्म की क्रिया में रुचि होना, धर्म की क्रिया के योग्य वातावरण मिलना, धर्म की क्रिया में लीन हो जाना और धर्म की क्रिया करते वक्त मन लग जाना, यह सब उत्तरोत्तर दुर्लभ है जो परम पुण्य से ही प्राप्त होता है।
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