ऐलाचार्य कौन होते हैं और उनके कितने मूल गुण होते हैं?

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शंका

ऐलाचार्य कौन होते हैं और उनके कितने मूल गुण होते हैं?

समाधान

ऐलाचार्य आचार्य होते हैं, कोई अलग नहीं। ऐलाचार्य वर्तमान में चलन में आ गये है। प्राचीन काल में आचार्य कुन्दकुन्द का एक उपनाम ऐलाचार्य पड़ गया था। ऐसी कथा आती है, आचार्य कुन्दकुन्द जब विदेह क्षेत्र में गये तो विदेह क्षेत्र में ५०० धनुष की अवगाहना वाले मनुष्यों के सामने इन साढ़े तीन हाथ के को भगवान के समवसरण में गणधर ने उन्हें हाथ में रख लिया। बोले- “यह कौन है?” किसी ने कहा – “यह भरत क्षेत्र के महान आचार्य हैं”। बोले- “यह कैसे आचार्य? यह तो एल जैसे हैं”; एल यानि ‘इलायची’ होती है। तो उस विदेह क्षेत्र की इलाइची होती है साढ़े तीन हाथ की, जहाँ ५०० धनुष का आदमी होता है; तो इसलिए ऐलाचार्य, आचार्य कुन्दकुन्द का नाम पड़ गया। बाद में ऐलाचार्य, आचार्य वीरसेन के गुरु का भी नाम था। प्राचीन साहित्य में हमें इसी प्रकार के ऐलाचार्यों के नाम दिखते हैं। आज एलाचार्य एक उपाधि सी बन गई है, पर हमारे पंच परमेष्ठी में अलग से स्थान इनका नहीं है।

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