पद्मावती धरणेन्द्र को णमोकार मन्त्र किसने दिया था?

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शंका

पद्मावती धरणेन्द्र को णमोकार मन्त्र किसने दिया था?

समाधान

पद्मावती और धरणेन्द्र को किसी ने णमोकार नहीं सुनाया था। पार्श्वनाथ भगवान ने नाग और नागिन को संबोधा था। ऐसा कहते अवश्य हैं कि णमोकार सुनाया, पर यह सामान्य बाल-बोध के लिए कहते हैं। णमोकार में पंच परमेष्ठी की आराधना है और तीर्थंकर किसी की आराधना नहीं करते, तो मैं इस अर्थ को ऐसे लेता हूँ कि उन्होंने संबोधा था। उनके संबोधन से वे दोनों मरकर देव-देवी हुए। 

धरण नाम का इंद्र नाग कुमार जाति का देव हुआ और एक बहुत रहस्य की बात आपको बताता हूँ, जिसे आप पद्मावती कहते हैं, जो नाग-नागिन के जीव धरणेन्द्र और कथित रूप से ‘पद्मावती’ के रूप में भगवान पार्श्वनाथ के उपसर्ग का हरण करने के लिए आये थे, आगम के किसी भी मानग्रंथ में उस देवी का नाम पद्मावती नहीं है। धरण नाग कुमार इंद्र था और आगम में उसका उल्लेख करते हुए लिखा, ‘उसकी देवी’ – धरणेन्द्र और उसकी देवी। हो सकता है उपदेश क्रम में उसका नाम लुप्त हो गया होगा इसलिए हमारे प्रमुख ग्रंथों में उस देवी का नामोल्लेख नहीं हुआ, बाद के कुछ उत्तरवर्ती ग्रंथों में हुआ, लेकिन मूलतः उत्तरपुराण में राजवार्तिक जैसे ग्रंथों में उसका उल्लेख नहीं हैं। दो तीन प्रसंगों को मैंने बारीकी से देखा, उनमें लिखा था – धरणेन्द्र और उसकी देवी। तो “महाराज, पद्मावती धरणेन्द्र कहाँ से आ गए?” धरण एक यक्ष था, पार्श्वनाथ भगवान के यक्ष का नाम धरण है और यक्ष व्यंतर देव होता है; उसकी देवी अगर पद्मावती हो, तो यह मान कर के चलना की धरणेन्द्र और पद्मावती, वे देव-देवी नहीं हैं जिन्हे भगवान पार्श्वनाथ ने संबोधा था और मर कर के भवनवासियों में नाग कुमार के देव इंद्र और देवी बने थे। यह एक अंतर है इस पर सभी को विचार करना चाहिए और इसके बाद बहुत सारी बातें जुड़ी है, किन्तु आगम जो कहता है वो मैंने आपको बता दिया।

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