वैज्ञानिक और साधक में कौन श्रेष्ठ है?

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शंका

एक होता है वैज्ञानिक जो दुनिया को बहुत कुछ देता है और एक होता है साधक जो अपनी साधना करते-करते एक आदर्श बन जाता है। वैज्ञानिक भी पूरा जीवन अपना एक मोटो हासिल करने लगा देता है। मेरा पूछने का अभिप्राय यह है कि जैन धर्म के अनुसार साधक और वैज्ञानिक दोनों में श्रेष्ठ कौन है?

समाधान

दोनों अपनी-अपनी जगह श्रेष्ठ हैं पर दोनों में अन्तर है। विज्ञान प्रयोग के आधार पर बात करता है, वैज्ञानिक जो भी कहेगा वह अपने प्रयोगों से कहेगा और साधक जो भी कहता है अपने अनुभव के आधार पर कहता है। प्रयोगजन्य निष्पत्तियाँ रोज बनती और बदलती है पर अनुभव सदा एक होता है। विज्ञान ने जितने भी प्रयोग किए, विज्ञान के प्रयोग में आज २१वीं शताब्दी में बहुत सारे प्रयोग हैं, हालाँकि, अब तो तकनीकी का उपयोग युग आ गया, पहले विज्ञान का युग था, आज विज्ञान थोड़ा पीछे हो गया लेकिन फिर भी विज्ञान के जितने अधुनातन निष्कर्ष हैं उनको हम अतीत में जाकर के देखे तो बहुत सारी ऐसी निष्पत्तियाँ है जो कचरे के ढेर में रखने लायक हैं जिनका कोई मूल्य नहीं, कोई महत्त्व नहीं लेकिन अनुभव चिरंतन रहता है। मिश्री खाने से मुँह मीठा होता है, ये अनुभव है कि नहीं है? आज का, कब का अनुभव है? अनादि का अनुभव है और कब तक रहेगा? अनन्त काल तक रहेगा। जो भी मिश्री खाएगा उसका मुँह मीठा होके रहेगा, मुँह मीठा होगा। आध्यात्मिक साधना करोगे, आत्मा में डूबोगे, अनिर्वचनीय आनन्द की अनुभूति होगी। यह अनुभव हमारे साधक सन्तों ने किया और वो हमें बताया कि देख मैं इसका अनुभव किया हूँ, तू भी इसका अनुभव कर। अब मेरे तेरे अनुभव में कोई अन्तर नहीं होगा। जो अनुभव आज मैं कर रहा हूँ वही अतीत में अनन्त सिद्धात्माओं ने किया और जो अनुभव आज मैं कर रहा हूँ आने वाले युग में अनन्त जीव वही करेंगे इसमें कोई परिवर्तन नहीं है, यह धर्म है। विज्ञान खोजता है और धर्म कहता है खोजने की जरूरत नहीं है; खोदने की आवश्यकता है। खोजने में और खोदने में अन्तर क्या है? जब आप किसी चीज को खोजते हैं तो आपकी गर्दन कैसी होती है? बाहर देखना होता है, अकड़ दिखाई पड़ती है, खोज रहे हैं, खोज रहे हैं और किसी चीज को खोदना होता है, तो कमर नीचे झुकती है तब खोदते हैं, भीतर झाँको। तो विज्ञान कहता खोजो, वह बाहर पदार्थ की तरफ भागता है और धर्म कहता है खोजने का काम नहीं है तेरे भीतर है उसके ऊपर जो कुछ भी अनावश्यक अवांछित मिट्टी के कण है उसके छाँट-छाँट के अलग करो, खोद दो फिर भीतर से खजाना निकलेगा तू निहाल हो जाएगा। आप पूछ रहे कि यह दोनों में कौन श्रेष्ठ है? मैं यही कहूँगा विज्ञान हमें सुविधा देता है और साधक हमें शांति देता है। आप खुद तय कर लो क्या आपको पसन्द है, सुविधा या शांति? विज्ञान के संसाधनों से रिचनेस पाओगे और धर्म की आराधना से हैप्पीनेस पाओगे। व्हाट यू विश, हेप्पीनेस ऑर रिचनेस? क्या चाहते हो, हेप्पीनेस! तो आप समझ लो दोनों में श्रेष्ठ क्या है। मैं समझता हूँ ज़्यादा बोलने की आवश्यकता नहीं है।

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