मरणोपरांत बीमा राशि के दान का पुण्य लाभ किसे मिलेगा?

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शंका

किसी व्यक्ति के मरणोपरान्त बीमा या मुआवज़े की जो धनराशि प्राप्त होती है उसका उपयोग यदि दान आदिक धार्मिक कार्य में किया जाता है, तो क्या उसका पुण्य उस मृत व्यक्ति के जीव को मिलेगा या दान करने वाले को?

समाधान

किसी की LIC की पॉलिसी है, मृत्यु से पूर्व वो ऐसा कह जाता है या ऐसी वसीयत कर देता है, will लिख देता है कि ‘मेरी इस राशि का उपयोग धार्मिक कार्य में करना दान आदि में करना। मैं इस राशि का स्वयं उपभोग नहीं करना चाहता हूँ’, तो ये पुण्य उस व्यक्ति को मिलेगा जिसके नाम ये पॉलिसी थी। लेकिन वो चला गया और करने से पहले उसने कुछ भी नहीं किया तो मरने के बाद वो सम्पत्ति उसकी कैसे रही? वो राशि तो उसके वारिसों की हो गई और जो सम्पत्ति आई वो जो दान करेगा उसका फल उसके खाते में जायेगा। 

इसलिए बन्धुओं एल.आई.सी. की बात आ गई, बीमा की बात आ गई तो मैं आपसे बीमा की भी बात कर लेना चाहता हूँ। आज सब लोग कहीं न कहीं बीमा से जुड़े होंगे। बीमा करना और कराना सब चाहते हैं। ‘महाराज! हम तो इस चाह में रहते हैं कि कोई पॉलिसी ढंग की आए तो हम उसे ले लें।’ क्यों लें? बीमा क्यों कराते हैं आप लोग? जिससे कि आगे काम आ जाए। किसके काम काम आयेगा, आपके या आपके पीछे वाले के? तुम्हारे यहाँ जितनी भी बीमा की पालिसी है उसमें जो मिलता है अगर मरने वाला है, तो मरने के बाद तुम्हें मिलेगा या तुम्हारे पीछे वाले को मिलेगा? और ये बताओ कि ऐसी कोई बीमा कम्पनी है जो इस बात की गारंटी लेती हो तो तुम्हारी जिंदगी को सुरक्षित कर दे? विश्व में कोई नहीं, अब इसमें भी विदेशी कम्पनियाँ ने आना शुरू कर दिया है। ऐसी कोई कम्पनी है जो कहे कि हम तुम्हारे जीवन को पूर्णतः सुरक्षित करते हैं? कोई भी कम्पनी ऐसी नहीं है जो तुम्हारे जीवन को सुरक्षित कर दे। 

ये जितनी भी बीमा है तुम्हारे पीछे वालों की है। भगवान ने हमें ऐसी व्यवस्था दी है कि तुम्हारे पीछे के लिए नहीं तुम्हारे आगे के लिए बीमा कराओ। तुम कितनी भी पालिसी बनाकर रखोगे, जिन्दगी भर प्रीमियम भरते रहोगे, मरने के बाद तुम्हारे बच्चों के हाथ में जायेगा, पता नहीं वो क्या करेंगे? लेकिन ऐसा इन्वेस्टमेंट अपने लिए करो, अपना ऐसा बीमा कराओ जो शत-प्रतिशत तुम्हें मिले और वो भी बिना claim के। एकदम ईमानदारी से कहो कि ऐसी कोई कम्पनी आए और कहे कि ‘भईया! तुम इस लोक से कुछ भी लेकर नहीं जा सकते लेकिन हमारी व्यवस्था है कि तुम जितना भी बीमा की पालिसी लोगे पैदा होते ही यहाँ डिपोजिट हो जायेगा।’ अब क्या करोगे? ऐसा कोई सिस्टम हो जो कहे कि ‘तुम यहाँ कोई इन्वेस्टमेंट करोगे, यहाँ से जाने के बाद तुम नहीं ले जा पाओगे, लेकिन तुम्हें पैदा होते ही इतना बैंक बैलेंस मिल जायेगा।’ तो आप क्या करोगे?  बोलोगे कि “महाराज! दनादन पालिसी लेंगे।” ध्यान रखना कि यहाँ जितनी भी पालिसीज है तुम्हारे रुपयों के हेर-फेर की हैं, तुम्हारे जीवन के काम नहीं आने वाली है। यही छूट जाने वाली हैं। लेकिन भगवान कहते हैं कि तुम जितना दान करोगे, व्रत, उपवास करोगे, वो सारी पालिसीज तुम्हारी अपनी पालिसीज है और वो यहाँ से वहाँ तक जायेगी और तुम्हारे काम में आयेंगी। है कोई पालिसी, कभी ली है ऐसी पालिसी? तो वास्तविक में भगवान का मन्दिर आत्मा का बीमा है और सद्गुरू उसके एजेन्ट हैं। आओ कोई न कोई पालिसी को कर ही लो। बहुत सारी पालिसी है, आफिस खुला है २४ घंटे और आप कहीं न कहीं से बीमा कराओ जिससे जीवन का कल्याण हो सके।

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