हम अपना संप्रेरक किसे बनाएँ और कैसे बनाएँ?
अपना संप्रेरक उसे बनाओ जो तुम्हे सही दिशा में ले जाए। जिधर तुम जाना चाहते हो, जिधर जाने से तुम्हारे जीवन का उत्कर्ष हो, उसे अपना प्रेरक बनाना चाहिए।
प्रेरक का मतलब क्या होता है? हम लोग चलते हैं, हवा चलती है। हवा जब अनुकूल होती है, तो हमारे लिए प्रेरक बन जाती है और हवा जब प्रतिकूल होती है, तो हमारे लिए अवरोधक बन जाती है। जो अनुकूल दिशा में आगे बढ़ाए वह प्रेरक, और जो प्रतिकूल दिशा में भटका दे, वो अवरोधक। अवरोधकों से बचो और अनुकूल दिशा में आगे बढ़ाने वाले का अनुसरण करो। सच्चे अर्थों में वही हमारा प्रेरक है और उसके माध्यम से यदि हम चलेंगे तो निश्चित वह हमारे जीवन के कल्याण का कारण होगा। उन्हें अपना आदर्श मान लो और उनकी मूक और मुखर प्रेरणा को स्वीकारते रहो, वो आपके प्रेरक बन जाएँगे। प्रत्यक्ष सानिध्य मिले यह कोई ज़रूरी नहीं, लेकिन अगर किसी को अपने प्रेरक के रूप में कोई व्यक्ति अपने हृदय में स्थापित कर लेता है, तो दूर रहकर की भी बड़ी-बड़ी प्रेरणाएँ पा सकता है – ऐसी प्रेरणा जो प्रत्यक्ष रहने वाले भी नहीं पा सकते।
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