हम प्रण लेकर उसे पूरा क्यों नहीं कर पाते?

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शंका

हम जिंदगी में जो प्रण लेते हैं या कुछ अच्छा करने की सोचते हैं, वैसा कर नहीं पाते या वह हो नहीं पाता। ऐसा क्यों होता है?

समाधान

पहली बात तो ये कि संसार में ऐसा कोई कल्पवृक्ष नहीं हैं कि जो हम चाहें सो मिल जाए। प्रण लेते समय हमें परिस्थितियों को देखना चाहिए और जो प्रण लें, उसे पूर्ण करने का पूरा प्रयास करना चाहिए। एक बात को सदैव ध्यान में रखना चाहिए- हमारे हाथ में प्रयास करना है, परिणाम नहीं। हम कोई भी संकल्प लें, उस संकल्प को दृढ़ रखें, हमारा संकल्प लचीला न हो और उस संकल्प की पूर्ति के लिए अपना शत-प्रतिशत अर्पित करें। संकल्प को अपनी तरफ से टूटने न दें। दृढ़ संकल्प लें। हाँ, कई बार वज्रसंकल्प लेने के बाद भी परिणाम नहीं मिलते, उसे अपने भाग्य पर छोड़ दें, यही सन्तोष का एक साधन है।

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