हम धर्म के मार्ग पर स्थिर क्यों नहीं रह पाते?

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शंका

जब तक हम आप के प्रवचन सुनते रहते हैं तो भाव बहुत अच्छे रहते हैं,लगता है कि बस आप सुनाते रहें हम सुनते रहें, लेकिन घर जाते ही सब कुछ बदल जाता है। हम स्थिर क्यों नहीं रह पाते?

अभि जैन, विदिशा

समाधान

यही बाहर की हवा है, इसलिए स्थिर रहना है तो बार -बार सुनो, जितना अधिक सुन सको, सुनो और सुनने के बाद गुनो और जब भी मन अस्थिर हो जाए, अपने मन को धिक्कारो कि “मैंने ये लाइन खींची थी, इसको मैंने क्रॉस किया यह गलत है। अब मुझे इस लाइन को क्रॉस नहीं करना है, मुझे अपने रास्ते पर चलना है।”  यदि इस नीति से आप चलोगे निश्चित जीवन में सफल हो सकोगे।

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