शहद का निषेध क्यों?
मुंबई क्या? अमेरिका में कोई आदमी मर जाए तुम्हारे परिवार का, तो मन में तकलीफ़ होती है कि नहीं? दुनिया के किसी कोने में तुम्हारे परिवार का कोई व्यक्ति दुर्घटनाग्रस्त हो जाए, मृत्यु हो जाए तो मन में उसका असर पड़ता है कि नहीं? जब सात समंदर पार मरने वाले या दुर्घटना से ग्रसित होने वाले व्यक्ति का हमारे मन पर असर पड़ता है, तो मुंबई और इंदौर तो बहुत पास है, असर क्यों नहीं पड़ेगा?
शहद को महान दोषकारी बताया है। जैन शास्त्रों में तो बताया ही है, कुछ जैनेतर ग्रंथों में भी इसका निषेध है। एक जगह मैंने पढ़ा था वहाँ लिखा था कि ‘एक बूँद शहद को प्राप्त करने में सात गाँव को जलाने का पाप लगता है।’ इसे बहुत गम्भीरता और संवेदनशीलता के साथ समझने की जरूरत है।
मधुमक्खी अपने छत्ते में शहद रखती है और उस शहद का संग्रह करने के लिए उसे बहुत परिश्रम करना पड़ता है, वो उसका धन है। शहद की प्राप्ति के लिए कोई यदि उसका घर उजाड़ दे, लाखों मधुमक्खियाँ बेघर हो जाएँ और वे मर भी जाएँ तो ये हिंसा हुई कि नहीं हुई? इसलिए इससे हमें बचना चाहिए।
दूसरी बात आजकल जो मधुमक्खियों को पालकर तथाकथित अहिंसक शहद के सेवन की बात की जाती है वह भी हमें नहीं लेना चाहिए। क्यों नहीं? क्यों कि मधुमक्खी का शहद है क्या? मधुमक्खियों की उगाल! वो रस चूसती हैं और उगल कर रखती हैं। किसी भी प्राणी की उगाल को लेना हमारे लिए ठीक नहीं है,ये उच्छिष्ट का सेवन है। इसलिए इसको नहीं लेना चाहिए।
फिर उसमें अन्य सूक्ष्म जीव भी रहते हैं। जब आप शहद को लेने के लिए कोई भी प्रक्रिया अपनायेंगे, जिसको आप Germs(रोगाणु) कहते है वो बड़ी भारी तादाद में होते हैं। इसलिए जैन धर्म में शहद के सेवन का निषेध किया है। आपको यदि शहद की कोई सलाह भी दे, औषधि आदि के लिए तो उसके स्थान पर आप गुड़ की चाशनी का प्रयोग कर सकते हैं, आपको उतना ही गुणकारी होगा। लेकिन शहद लेना कोई जरूरी नहीं है। हमें इनका प्रयोग नहीं करना चाहिये।
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