शंका
मेरा प्रश्न यह है कि माँ-बाप तो धरती पर भगवान का रूप होते हैं पर आप उनको छोड़कर इस मार्ग पर क्यों आए हैं?
आर्जव जैन
समाधान
हमने माँ-बाप को छोड़ा है ऐसी बात नहीं। एक सन्तान का माँ-बाप के प्रति क्या कर्तव्य है? उनके गौरव को बढ़ाना, उनकी प्रतिष्ठा को बढ़ाना, उनका नाम ऊँचा करना, ऐसा कार्य करना जो लोग माँ-बाप से पूछे कि किस पुण्य से ऐसी सन्तान पाई। तो आज अगर हम जैसे जितने भी मुनि बनें हैं, हमारे मुनि बन जाने से हमारे माँ-बाप का भी तो नाम ऊँचा हुआ।तो यह प्रकारांतर से सेवा ही है और यह वो सेवा है जो पास रहने वाले नहीं कर पाते हैं और वो सेवा साधु होने वाले कर लेते हैं।
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