तीर्थंकरों को वृक्ष के नीचे ज्ञान कल्याणक क्यों होता है?

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शंका

तीर्थंकर भगवान को वृक्ष के नीचे ज्ञान कल्याणक होता है, अन्यत्र कहीं नहीं, ऐसा क्यों?

समाधान

वृक्ष अपार ऊर्जा के प्रतीक होते हैं। वृक्षों से हमें बहुत ऊर्जा मिलती है। इस पर काफी शोध हुए हैं और हो रहे हैं। ये कहा गया है कि वृक्षों के नीचे बैठने से positive energy (सकारात्मक ऊर्जा) का flow (प्रवाह) बढ़ जाता है। वृक्ष सहिष्णुता और सरलता का भी प्रतीक होता है। सब प्रकार की सर्दी व गर्मी की बाधाएँ सहन करके, धूप और गर्मी सहन करके भी, पेड़ हमें छाया प्रदान करता है। कितना भी प्राकृतिक आपदा हो, पेड़ प्रतिकार रहित होकर उसे सहन करता है। पत्थर फेंकने वाले को भी वो मीठे फल और अपनी छाया देता है। सहनशीलता का और सहिष्णुता का प्रतीक होने के कारण शायद तीर्थंकर भगवन्त उनके ही नीचे केवलज्ञान प्राप्त करते हों और दीक्षा लेते हों। 

सभी महापुरुषों की बोधि से वृक्ष जुड़े हुए है। उसका कारण यही है कि वृक्षों से पर्याप्त एनर्जी मिलती है। इस पर काफी शोध भी हुआ और एक प्रयोग भी हुआ। एक पेड़ लगाया गया उसके गमले में जितनी मिट्टी डाली गयी उसका वजन लिया गया और रोज जो पानी पौधे में डाला गया उसका वजन लिया गया। प्रतिदिन की मिट्टी और पानी का वजन लेने के बाद पेड़ बड़ा हुआ और १५ दिन तक उसमें पानी नहीं दिया गया। मिट्टी बिल्कुल सूख गयी और उसके बाद उस गमले को तोला गया, तो साढ़े तीन किलो अधिक हुआ। वैज्ञानिक ने रिसर्च में पता लगाया कि ये वजन कहाँ से बढ़ा ? चूँकि पेड़ ने प्रकृति से ऊर्जा को ग्रहण किया इसलिए बढ़ा। पेड़ हम सब को ऊर्जा देता है और उसके नीचे बैठने से ध्यान की एकाग्रता बढ़ती होगी? शायद तीर्थंकरो का केवलज्ञान पेड़ के नीचे होने का यही कारण हो।

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