शंका
हम गंधोदक क्यों लगाते हैं?
समाधान
भगवान का जब हम अभिषेक करते हैं तो अभिषेक के बाद में वो जल सामान्य जल नहीं होता; उसको गन्धोदक कहते हैं। है, तो वो पानी पर हम उसको पानी नहीं बोलते, गन्धोदक में गन्ध का अर्थ होता है गुण, गन्ध का अर्थ होता है ज्ञान, गन्ध का अर्थ होता है शक्ति! वह ज्ञान, गुण और शक्ति से संयुक्त जल होता है। उसमें भगवान के स्पर्श से गुण प्रकटाए, अभिषेक करते वक्त मन्त्रोच्चारण से शक्ति आई, वो हमारे ज्ञान को प्रकट करने में सहायक है।
इसलिए भगवान के अभिषेक के उस जल को अपने माथे पर भक्ति के भाव से लगाया जाता है। इसलिए नित्य गन्धोदक अपने सिर पर लगाओ, ज़्यादा हो तो आँख और सिर पर लगाओ; नाभि से नीचे हमें गन्धोदक नहीं लगाना चाहिए।
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