अष्टमी एवं चतुर्दशी को हम पर्व के रूप में क्यों मनाते हैं?

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शंका

अष्टमी एवं चतुर्दशी को हम पर्व के रूप में क्यों मनाते हैं?

समाधान

अष्टमी- आठ कर्म के नाशक का प्रतीक है और चतुर्दशी- चौदह गुणस्थान से पार उतारने का प्रतीक माना जाता है। चतुर्दशी, अष्टमी के विषय में एक रिसर्च पढ़ा था उसमें बताया गया था कि जैसे समुद्र का धरती पर दो-तिहाई जल भाग और एक तिहाई ठोस भाग है, वैसे ही हमारे शरीर में भी दो तिहाई जल तत्त्व है और एक तिहाई भाग ठोस तत्त्व है। जैसे चंद्रमा की कलाओं के प्रभाव से समुद्र का जल स्तर घटता बढ़ता है वैसे हमारे शरीर के अंदर का जल तत्त्व भी घटता बढ़ता है। उस शोध लेख में यह बताया गया था कि अष्टमी, चतुर्दशी, एकादशी, पंचमी और पन्दरहवी में हमारे शरीर का जल स्तर तूफान पर रहता है, अमेरिका जैसे ठंडे देशों में सर्दी की बीमारी सर्दी की अधिकता के कारण क्यों होती है? क्योंकि इन दिनों में जल स्तर ज़्यादा होता है, तो लोग इन दिनों पर अपने आप पर संयम रखें, तो वह सर्दी से बच सकते हैं। उस उल्लेख में किसी ने टिप्पणी की थी कि-‘इसलिये भारतीय परंपरा में खासकर जैन परंपरा में तिथियों में उपवास रखा जाता है।’ उपवास नहीं कर सकें तो एकासन करें, एकासन भी नहीं करें, तो हरी नहीं खायें ताकि शरीर में जल तत्त्व कम से कम जाये। अगर अष्टमी और चतुर्दशी को आप उपवास करते हैं तो आपको गर्मी भी कम लगेगी और शरीर का सन्तुलन भी बना रहेगा।

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