हम अभिषेक और शांतिधारा क्यों करते हैं?
प्रत्येक व्यक्ति के मन में ऐसा प्रश्न होना चाहिए। निश्चित तुम्हारे माँ-बाप ने तुम्हें अच्छे संस्कार दिए कि इस उम्र में भी तुम्हें प्रक्षाल करने का भाव और शान्ति धारा करने का भाव होता है।
भगवान का प्रक्षाल हम लोग अपने पापों के प्रक्षालन के लिए करते है, प्रक्षालन मतलब पाप को साफ करना। हम जब भगवान के अभिषेक करते हैं तो अभिषेक के समय में जब भाव में विशुद्धि आती है वह हमारे पाप को धो देती है। जब भगवान का अभिषेक करते हैं तो खूब अच्छा feel (अनुभव) होता है। यह जो खूब अच्छा लगना है ना, यह अनुभव ही तुम्हारी विशुद्धि है और इस अनुभूति से हमारी आत्मा में लगे पाप साफ हो जाते हैं।
अभिषेक कर्म निर्जरा का पाप काटने का एक श्रेष्ठ अंग है और इसके साथ जब शान्ति धारा बोली जाती है, शान्ति धारा में जो पाठ किया जाता है वह सारे लोक में मंगल-विघ्न, विधान, विषमता और सन्ताप के दूर करने के लिए किया जाता है सारे लोग की शान्ति के लिए किया जाता है इसलिए शान्ति धारा की जाती है।
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