हम दान क्यों देते हैं?
महाराज जी – आप को किसने कहा कि “बेटा, यह गुल्लक गुणायतन में में देना? अपने मन से किया कि मम्मी ने भेजा?”
बच्चा – “मम्मी।”
महाराज जी – “मम्मी क्या बोली?”
बच्चा – “गुल्लक गुणायतन में देना।”
महाराज जी – “तो आपको तकलीफ़ नहीं हुई कि गुल्लक के पूरे पैसे गुणायतन में लग जाएंगे तो आपकी जेब में कुछ बचेंगे ही नहीं? तकलीफ़ नहीं होगी?”
बच्चा – “होगी।”
महाराज जी – “देखो, यह सच्चाई है। तकलीफ़ क्यों होगी बेटे? अब एक काम करो यह गुल्लक वापस ले जाओ।”
बच्चा – “नहीं, तकलीफ़ नहीं होगी।”
महाराज जी – तुमने यह जो गुल्लक दिया है न, इसको लेकर तुम्हारे मन में खुशी होनी चाहिए। क्योंकि आपने दान किया। दान करने से क्या होता है? दान करने से जीवन का कल्याण होता है। जैसे जमीन के अंदर एक बीज बोते है न? बीज बोने से क्या होता है? वह पौधा बन जाता है, उसमें ढेर सारे बीज हो जाते हैं न? वैसे ही जो दान दिया जाता है, जितना दान देता है उसका अनंत गुना फल मिलता है। कैसा फल मिलता है? अनंत गुना। इसलिए अपने पैसे का एक भाग बचाना चाहिए और अच्छे कार्य में लगाना चाहिए। तो अभी से अपनी आदत बनाओ ताकि बड़े होकर जब खूब कमाओ तब दान कर सको।
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