ऐसा क्या कारण है जिससे हमें पिछले जन्म की बात याद नहीं रहती है?
पिछले जन्म की बात याद नहीं रहती है। इसके कारण की बात तो मैं नहीं करता; लेकिन मैं कहता हूँ कि अच्छा है, पिछले जन्म की बात याद नहीं है। क्योंकि हमारा जितना भी अतीत है, वह दुःखमय, और दुःखमय बातों को याद करने से मन ज्यादा दु:खी हो जाता है। शायद इसलिए बात याद नहीं रहती है। पता नहीं हम कहाँ से आये? नरक से आये या निगोद से आये? कितना कष्ट भोगा होगा? यदि वो याद आ जाये तो पञ्चम काल में भी जीवन सुधर जाये। पर फ़िर पञ्चम काल, कैसे हो? शायद इसलिए याद नहीं है।
आगम में ऐसा विधान बताया है कि सम्यक् दर्शन के निमित्तों में एक निमित्त जाति स्मरण है। आज भी पूर्वजन्म की स्मृति होने की बात शास्त्रों में आती है, लेकिन बहुत कम देखने को मिलती है। पूर्व जन्म की स्मृति से व्यक्ति के जीवन में सम्यक् दर्शन का सद्भाव होता है। मेरा तो ऐसा मानना है कि पञ्चम काल में पापी लोगों की भरमार ज्यादा है। लोगों की सद्गति कम होती है, दुर्गति ज्यादा होती है। इसलिए शायद अतीत के जन्म की स्मृति जैसा निमित्त आज नहीं मिलता जिससे कि सम्यक् दर्शन की प्राप्ति हो जाये।
मैं तो कहता हूँ कि अतीत जन्म की बात तो बहुत दूर की बात है इस जन्म की बात हमें कितनी याद रहती है? कई लोग तो ऐसे होते हैं जो सुबह की बात शाम को भूल जाते हैं। ये संसार है और एक दृष्टि से अच्छा भी है।
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