हमें तिलक क्यों लगाना चाहिए?
तिलक धार्मिक होने की एक पहचान है। जब हम आज्ञा चक्र में तिलक लगाते हैं तो हमारे अन्दर एक अनुशासन (discipline) को प्रकट करता है, हमारे अन्दर की उत्तेजना को शान्त करता है।
तिलक चन्दन का लगाया जाता है। आजकल तिलक के मामले में गड़बड़ी होने लगी है। मुझे बलवीर जी बता रहे थे कि लोग आजकल तिलक के नाम पर जो चीजें लगा रहे हैं, उससे कई तरह के infection (संक्रमण) हो रहे हैं। एक तो प्रायः हरसिंगार के फूल का उपयोग करते है, उसमें बहुत जीव होते हैं। मन्दिरों में इसका प्रयोग चावल रंगने के लिए कतई नहीं होना चाहिए, तिलक लगाने के लिए भी नहीं होना चाहिए। कुछ केमिकल्स भी होते हैं, और उसका असर यह होता है कि व्यक्ति जहाँ तिलक लगाता है, वह स्थान काला हो जाता है। आजकल बाजार के रंग भी मिलाने लगे हैं, यह गलत है। सबसे उत्तम है शुद्ध चन्दन घिसें, उसका तिलक लगाएँ। चन्दन के तिलक से माथे पर ठंडक होती है; केसर गरम होता है। तिलक के लिए उचित तो चन्दन है, चन्दन का ही तिलक लगाना चाहिए या चन्दन केसर को मिश्रित करके तिलक लगाना चाहिए। आजकल तिलक के मूल को न समझकर, लोग कुछ भी लगाने लगे हैं। इसलिए उसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।
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