शंका
जब मनुष्य को किसी से मोह होता है तब उसकी बुराइयाँ भी अच्छी लगती हैं और जब घृणा होती है तब अच्छाई भी बुराई लगती हैं ऐसा क्यों?
समाधान
यही तो संसार है। जिसके प्रति राग और जुड़ाव होता है उसके दोष नहीं दिखते हैं, गुण दिखते हैं और जिसके प्रति द्वेष होता है उसके गुण नहीं दिखते हैं, दोष ही दोष दिखते हैं। इस से बहुत पाप लगता है। क्यों कि राग और द्वेष पाप की सन्तान है इसलिए इनसे बचना चाहिए और अपनी दृष्टि को ठीक रखना चाहिए। मोहाविभूत (मोह में डूबा) व्यक्ति की कोई भी धारणा को सही नहीं मानना चाहिए क्यों कि वह सही व्यक्ति और सही वस्तु का आँकलन नहीं कर सकता।
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