हम प्रभु पतित पावन क्यों गाते हैं?
हम भगवान से विनती करते हैं, अपने से बड़ों का गुणगान करते हैं, जब हम भगवान के पास जाएँ तो भगवान को क्या सुनाएँ? क्या गुणगान करें भगवान का? जिससे हम भगवान के गुणों का बखान कर सकें।
‘प्रभु पतित पावन’ बड़ी अच्छी विनती है, जिसमें भगवान के गुणगान के साथ अपने अन्दर की पहचान भी हो जाती है।
“हे प्रभु! तुम पतित पावन, मैं अपावन, मैं आपके चरणों की शरण आया हूँ। मेरा भी आप उद्धार कर दो। अगर आप मेरा उद्धार कर देंगे तो मेरा कल्याण हो जायेगा। अगर मेरा उद्धार नहीं करेंगे तो मेरा तो कुछ नहीं बिगड़ेगा, आपकी reputation (प्रतिष्ठा) ख़त्म हो जाएगी। आपकी रेपुटेशन यह है कि आपके सम्पर्क में जो भी आता है, आप उसका बेड़ा पार कर देते हो। तो मैं आपके बारे में ये ही सुन कर आपके चरणों में आया हूँ, आप कृपया कर के मेरा बेड़ा पार करें।” तो हम इस प्रकार से भगवान की विनती करते हैं।
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