शंका
मैंने हमेशा दूसरों का तन-मन-धन से सहयोग किया किन्तु उन्हीं के द्वारा समय-समय पर मुझे असहयोग किया गया, मेरी आलोचना की गई, यह मेरा कौन से कर्म का उदय है?
समाधान
यह इस बात का प्रमाण है कि आपने अपने पिछले जीवन में दूसरों के अच्छे कार्यों की जी भर के आलोचना की है। किसी ने अच्छा काम किया और आपने सहयोग की जगह असहयोग किया। इसका यह प्रतिफल है कि आज अच्छा करने के बाद भी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है और असहयोग का शिकार बनना पड़ रहा है। इसलिए क्या करें? पिछले को साफ करने के लिए खूब अच्छा करो, जी भर करके अच्छा करो और आलोचनाओं से प्रभावित मत हो।
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