अंजना के गर्भ में हनुमान जैसा मोक्षगामी जीव था फिर भी अंजना को इतने दुःख क्यों सहने पड़े?
यहीं तो कर्मों की विचित्रता है की कर्म किसी का पीछा नहीं छोड़ता| तद्भव मोक्षगामी कामदेव महापुण्यशाली जीव भी इस तरीके से जन्म ले सकता हैं तो तुम सामान्य व्यक्ति किस खेत की मूली हो| कई महापुरुषों के जीवन की बात है, जीवनधर चरित्र को पढ़ो तो जीवनधर का जन्म श्मशान में हुआ, माँ के पेट में आते ही माँ को विपत्ति का सामना करना पड़ा, पिता का सब कुछ छीन गया, नष्ट हो गया| पिता की मृत्यु हो गई, राज छिन गया, शमशान में जन्म लिया और श्मशान में जन्म लेते ही उसको एक धर्म पिता मिल गया और उसका जीवन तर गया|
यह कर्म है, मनुष्य एक क्षण में पाप करता है और उसे भोगने के लिए बहुत लंबा काल भोगना पड़ता है| तो यह हनुमान का, अंजना का अतीत का कोई पाप था उसमें निमित्त बना और फिर वह आगे बढ़े, इसी तरह जीवनधर आदि के जीवन चरित्र में है| इन सारे प्रसगों को देखकर एक ही निर्णय पर पहुँचों की कर्म किसी को नहीं छोड़ता इसलिए यथासंभव हम अपने आपको बुरे कार्यों से बचाये,पाप कार्यों से बचाये और कर्म का अगर उदय आता है तो अपने मन में यथासंभव क्षमता धारण करें|
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