एक जीव मनुष्य गति में जन्म लेकर भी गंदे नाले के किनारे झोपड़ी बनाकर रहता है, होटलों का फेंका हुआ भोजन खाता है। दूसरा जीव तिर्यंच गति में जन्म लेकर भी ए.सी. (AC) में रहता है, कारों में घूमता है, अच्छे पकवान खाता है, चार आदमी उसकी सेवा में लगे रहते हैं। जब उसका पुण्य इतना तेज था तो वो तिर्यंच गति में क्यों गया?
पुण्य और पाप का खेल बड़ा विचित्र है, एक मनुष्य होकर भी पशुओं से बदतर जीवन जी रहा है और एक पशु (कुत्ता) होकर भी शाही जीवन जी रहा है। ऐसा क्यों हो रहा है? इसके पीछे कुछ वजह है। कई बार ऐसा होता है जब व्यक्ति जीवन भर खूब पुण्य करता है, पुण्य करता आ रहा है। परन्तु आयु कर्म के बन्ध के समय उसने यदि मायाचारी कर ली तो उसे खोटी आयु बन्धेगी, तिर्यंच आयु बन्धेगी। उसके परिणाम से वो पशु बनता है, कुत्ता बनता है पर जीवन भर का जो balance (जमा शेष)था वो पुण्य उसके साथ आ गया, जिसके कारण उसको ये सारी facility (सुविधाएँ) मिल गईं। एक आदमी मनुष्य बना और by accident (दुर्घटनावश ) मनुष्य बना। जिंदगी भर पाप किया था लेकिन आयु कर्म के बन्ध के समय ऐसा योग बन गया कि वो मनुष्य आयु को बांधने योग्य परिणाम पा गया। मनुष्य आयु ने उसे मनुष्य तो बना दिया पर जीवन भर का जो बैलेंस शीट (balance sheet) था, उसे वो भोग रहा है। इसलिए वो मनुष्य हो करके भी पशुओं से बदतर जीवन जी रहा है और वो पशु हो करके भी अच्छा जीवन जी रहा है।
आज से कुछ वर्ष पूर्व मैं ग्वालियर से विहार करते हुए सोनागिरि के लिए जा रहा था। रास्ते में एक टेकनपुर छावनी है, भारत का सबसे बड़ा श्वान प्रशिक्षण केन्द्र है। वहाँ के guest house (विश्राम गृह) में हमारा विश्राम था। वहाँ चर्चा में बात आई कि यहाँ जो कुत्ते हैं उनके बड़ी रैंक (rank) है। कोई एस.पी (SP) की रैंक के हैं, कोई डी.आई.जी (DIG) की रैंक के हैं, कोई आई.जी (IG) की रेंक के हैं, और उन कुत्तों उनकी रैंक (पद) की सैलरी (वेतन) भी मिलती है, रिटायर (सेवानिवृत्त) होने पर पेंशन (pension) भी मिलती है। यह सब वहाँ(छावनी) के अफसर बता रहे थे, जितनी सैलरी मिल रही है यानि उतना उस पर(कुत्तों पर) खर्चा किया जाता है, उसी स्तर के अफसर उनके साथ जुड़ते हैं। मेरे साथ जो युवक विहार में चल रहे थे, बोले, “महाराज, इन कुत्तों का तो जबरदस्त पुण्य है, खूब पुण्य किया होगा।” मैंने कहा- “बिल्कुल पुण्य किया होगा! पर थोड़ी सी मायाचारी कर दी सो कुत्ते के एस.पी, डी.आई.जी, आई.जी बन गए, अगर उससे बच गए होते तो सच के एस.पी, आई.जी, डी.आई.जी बन गये होते।” इसलिए हर पल जागरूक रहिये।
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