शंका
जीवन में जीना सरल है और मरना भी सरल है, जीतना सरल है और हारना भी सरल है परन्तु सरल बनना बहुत कठिन है, ऐसा क्यों?
समाधान
मनुष्य सरल इसलिए नहीं बन पाता क्यों कि उसके भीतर कषायों के संस्कार बहुत प्रबल हैं और जब तक मनुष्य अपनी कषायों को शान्त नहीं करता तब तक सरलता की अभिव्यक्ति नहीं हो सकती। तो ये हमारे अन्दर के कषाय भाव, जो विकार हैं वो हमारे जीवन को विकृत करते हैं। इन विकारों के शमन के लिए सदा तत्पर रहना चाहिए।
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