शंका
कर्म हमारा अगला भव निर्धारित करते हैं। अब हम देखते हैं कितना पाप पूरी धरती पर हो रहा है उसके बाद भी मनुष्य की संख्या बहुत बढ़ती जा रही है। जनसंख्या बढ़ रही है यह क्या कारण?
समाधान
मनुष्य होना दुर्लभ नहीं मनुष्यता को पाना दुर्लभ है। मनुष्यों की संख्या तो बढ़ रही है, मनुष्यता दिनोंदिन घट रही है। मनुष्यता लोक में दुर्लभ है, वह महान पुण्य से होती है। आज भारत में १३५ करोड़ लोग हैं। पूरे विश्व में लगभग ६ अरब की आबादी है। इसमें मनुष्यता कितनों के पास है? इस युग में मनुष्य के रूप में लोग पशु जैसा जीवन जी रहे हैं। वह जीवन व्यर्थ है। आकृति से मनुष्य होना बहुत बड़ी बात नहीं, प्रकृति से मनुष्य बनना ही मनुष्य जीवन की सार्थकता है।
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