इलाहाबाद का प्रभासगिरी तीर्थक्षेत्र इतना विकसित क्यों नहीं?

150 150 admin
शंका

इलाहाबाद के प्रभासगिरी क्षेत्र में चारों ओर पहाड़ और नदियाँ हैं इसके बाद भी वह अभी तक अविकसित है ऐसा क्यों?

समाधान

जिस क्षेत्र की आपने चर्चा की, वह जैन जगत का एक बड़ा रमणीय और बहुत ही अच्छा क्षेत्र है। मैं वहाँ सम्मेद शिखर से जयपुर के विहार के क्रम में २ दिन रुका। हर व्यक्ति को कम से कम एक बार जरूर जाना चाहिए। प्रभासगिरी, पद्मप्रभु भगवान के गर्भ-जन्म-तप और ज्ञान चार कल्याणकों की भूमि है। यमुना के तट पर तरफ चारों तरफ मैदान, बस बीच में एक पहाड़, कहाँ से आया पता नहीं, वह पुरानी कौशांबी नदी का तट है, उसका नाम पवोशा है। 

वहाँ की आधारभूत आवश्यकताओं के अनुसार क्षेत्र तो विकसित है। किन्तु मुख्य मार्ग से अलग होने के कारण लोगों का आवागमन कम है। पर मैं लोगों से कहूँगा कि अपने यात्रा के कार्यक्रमों में प्रभास गिरी को अवश्य जोड़ें, वहाँ जाकर के रुकें और उस क्षेत्र की रमणीयता का आनन्द लें। यमुना उसका पग प्रक्षालन करती है। वहाँ की जो हरीतिमा है सबको अपनी ओर सहज आकर्षित करती है। जब आप ऊपर जायें तो आपको ऐसा लगेगा जैसे किसी दूसरी दुनिया में पहुँच गए हैं, बहुत-बहुत अच्छा है। 

विकास अभी तक क्यों नहीं हुआ? यह मत सोचो, यह पूछो “महाराज विकास कैसे करें?” जो हो गया, उसके विषय में पूछने से कोई लाभ नहीं। क्या करना है उसके विषय में सोचने की जरूरत है। पूरे देश भर का समाज उसमें जुटे, आपके कंधों पर उसका दायित्त्व है, आप अच्छी योजनाेएं बनायें और उसका इस तरीके से प्रचार-प्रसार करें कि लोग अपनी यात्रा के क्रम में उस क्षेत्र को जरुर जोड़ें।

Share

Leave a Reply