२ अक्टूबर को अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाने के UNO ने घोषण कर रखी है, यह भारत सरकार के प्रस्ताव पर किया गया है। हजारों वर्ष पूर्व भगवान महावीर और जैन धर्म में अहिंसा का प्रचार किया संदेश फैलाया तो इसका श्रेय जैन धर्म और भगवान महावीर को क्यों नहीं मिला?
विश्व में अहिंसा की प्रतिष्ठा अगर किसी ने की है, तो भगवान महावीर ने की है यह बहुत सही बात है। लेकिन इसका श्रेय आप ने कहा कि गांधी जयंती के दिन गांधी जी को दिया गया इसे इस सन्दर्भ में जोड़ करके देखा जाए कि इसे गांधी जी के जन्मदिन के दिन पर अहिंसा दिवस मनाने की बात भी कहीं न कहीं जैन धर्म से जुड़ी हुई है, जो इस बात को जाहिर करती है कि गांधीजी भी जैन धर्म से प्रभावित थे उन्होंने जैन धर्म की अहिंसा के बल पर ही ऐसा काम किया।
सवाल भगवान महावीर और गाँधी का नहीं है, सवाल अहिंसा का है। भगवान महावीर भी हमारे लिए महत्त्वपूर्ण इसलिए हैं क्योंकि उन्होंने अहिंसा का शंखनाद किया और गांधी ने भी उस अहिंसा के बल पर पूरे देश को आजादी दी। अगर किसी के निमित्त से विश्व में १ दिन अहिंसा को समर्पित करने की बात आती है, तो हमारे लिए बहुत अच्छी बात है।
इस दिन को अहिंसा दिवस के रूप में मनाये कोशिश करें उस दिन धरती पर किसी भी प्रकार की हिंसा न हो। यह सुनिश्चित करें शासकीय स्तर पर इस पर प्रतिबंध भी है और स्थानीय निकायों से सम्पर्क करके इस पर पूर्ण प्रतिबंध करने की व्यवस्था की जानी चाहिए।
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