चतुर्थ गुण स्थान में शुद्ध आत्मा का अनुभव क्यों नहीं होता?

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शंका

चतुर्थ गुण स्थान में शुद्ध आत्मा का अनुभव क्यों नहीं होता?

समाधान

चतुर्थ गुण स्थान में शुद्ध आत्मा का अनुभव इसलिए नहीं होता क्योंकि उनकी आत्मा शुद्ध नहीं है। जिनकी आत्मा शुद्ध नहीं है उनको शुद्धता की अनुभूति कैसे होगी? एक आदमी दूध पीता है तो दूध की डकार आती है और किसी के पेट में मट्ठा भरा हो तो दूध की डकार आएगी क्या? जिसके भीतर तीन-तीन कषाय विद्यमान हैं, वे  निष्कषाय वीतराग आत्मा का अनुभव कैसे करेंगे? उनको जो भी अनुभव होगा, कषायों का ही अनुभव होगा और यह कषाय अनुभूति संसार में भटका कर रखती है। शास्त्रों के विधान अनुसार शुद्ध -आत्मानुभूति वीतराग चारित्रिक मुनियों को ही होती है क्योंकि वह वीतराग चारित्र का अभिनयभावी है।

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