शादी के समय सात फेरे लिए जाते हैं; बुंदेलखंड में गजरथ के समय सात परिक्रमा लगाई जाती हैं। तो इस सात के अंक का क्या महत्त्व है?
सात के अंक का अपना बड़ा महत्त्व है। सात परम स्थान भी होते हैं और यह सात परम प्रेम का प्रतीक भी होता है।
हम लोग सुनते हैं कि इन्द्र को जैसे ही पता लगता है कि भगवान का कोई कल्याणक हुआ, इन्द्र अपने आसन से उठकर सात कदम आगे जाकर भगवान को प्रणाम करता है। जिन के प्रति पूर्ण प्रेम और श्रद्धा होती है उनके साथ सात बार यह सब क्रियायें की जाती है। आप लोगों के यहाँ विवाह में सात फेरे लगाए जाते हैं, वह इसी बात का द्योतक है कि ‘अब हम दो नहीं मिलकर एक हो गए। हम दोनों इस पाणिग्रहण संस्कार के माध्यम से दो देह में एक प्राण जैसे हो गए’, इसका प्रतीक है यह सात फेरे।
बुंदेलखंड में भगवान की प्रतिष्ठा के बाद जो गजरथ में विराजमान करके सात फेरे लगाए जाते हैं उसका तात्पर्य यह है कि ‘भगवान हमने आपकी प्रतिष्ठा कर दी, इसके पूर्व मूर्ति थी, अब आप मेरे भगवान हो गए हैं और आपके लिए हमारे मन में परम प्रेम हैं। अब हम पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ आपकी पूजा करेंगे, भक्ति करेंगे, इसी प्रेम की अभिव्यक्ति के लिए सात फेरे किये जाते हैं।
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