रोज मन्दिर जाना ज़रूरी क्यों है?
एक बार एक युवक के परिवार के लोगों ने कहा कि ‘महाराज इसको कहो कि मन्दिर जाए।’ मैं उसकी तरफ मुखातिब हुआ तो उसने कहा- ‘महाराज जी, मन्दिर जाना क्यों ज़रूरीहै?’ मैंने उससे पूछा, “ये बताओ अपने ऑफिस जाते हो?” बोले, ‘जाता हूँ।’ “क्यों जाते हो?” बोले ‘ज़रूरी है।’ “क्यों ज़रूरी है?” ‘अगर ऑफिस नहीं जाएँ, पैसा नहीं कमाएँ तो जीवन का निर्वाह नहीं होगा। जीवन के निर्वाह के लिए ऑफिस जाना, कारोबार करना ज़रूरी है।’ तो मैंने कहा, “जीवन के निर्माण के लिए मन्दिर जाना ज़रूरी है, धर्म करना ज़रूरी है। दुनिया में जितने भी साधन हैं वो जीवन के निर्वाह के साधन है। भगवान का मन्दिर एक ऐसा स्थान है जो जीवन के निर्माण का स्थान है। यहाँ आकर हम प्रेरणा लेते हैं।’
आप सबके जेब में मोबाइल है, आपके मोबाइल का फंक्शन कब तक चलता है, जब तक कि उसकी बैटरी काम करती है। और जब बैटरी उसकी डिस्चार्ज होती है, तो क्या करते हैं आप, उसको चार्ज करते हैं। कहाँ करते हैं? जहाँ कहीं भी चार्ज कर लेते हैं? ‘नहीं महाराज, पावर पिन से चार्ज करना होता है, उसके लिए हम पावर पॉइंट ढूँढते हैं और उसको पिन में लगाते हैं, तब वो चार्ज होता है, तभी चार्ज होता है न।’ तो मोबाइल को चार्ज करने के लिए चार्जर को आप पावर पॉइंट में ले जाकर पावर पिन से जोड़ते हैं, तब आपकी मोबाइल चार्ज होती है। मन को चार्ज करने के लिए भगवान के मन्दिर में अपने आपको जोड़ोगे, आपका मन चार्ज हो जाएगा। तो जीवन का निर्माण करने के लिए मन्दिर जाना ज़रूरी है और अपने मन को ऊर्जावान बनाने के लिए मन्दिर जाना ज़रूरी है। भगवान से अच्छी प्रेरणा पाने के लिए मन्दिर जाना ज़रूरी है।
मुझसे एक बार एक युवक ने बोला- ‘मन्दिर से हमें क्या मिलता है?’ हमने कहा, और कुछ मिले या न मिले, भगवान की उस मुद्रा को देखोगे तो भगवान कह देंगे- ‘तेरे जीवन की आदर्श स्थिति यही है, जब तू आया था तो कुछ लेकर नहीं आया, इस दुनिया से जाएगा तो भी कुछ लेकर नहीं जाएगा। ये जो चीजें हैं तेरे साथ जुड़ी हुई, सब आडम्बर है, यहीं छूट के रह जाने वाली हैं। बस इस बात को याद रख करके जी तो जिंदगी में कभी आसक्ति नहीं होगी और कभी कोई बुराई नहीं पनपेगी।’ इसलिए मन्दिर जाना जरुरी है।
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