शंका
अन्तरिक्ष पार्श्वनाथ, जहाँ भगवान ताले में बंद हैं या गोपांचल जैसे पर्वतों पर, जहाँ भगवान की प्रतिमा को खंडित कर दिया गया है। क्या ऐसी प्रतिमोंओं की प्रतिष्ठा में कुछ गड़बड़ी होती है? ऐसा क्या है कि हमें उनके सही रूप में दर्शन नहीं मिल पाते, उनका पूजन प्रक्षाल नहीं हो पाता?
समाधान
धर्मायतनों का लाभ होना हमारे पुण्य का परिणाम है और धर्मायतनों के सही रूप में न आना, ये हम सबके पाप का परिपात है। इसमें प्रतिमा की प्रतिष्ठा कराने वाला या प्रतिष्ठा के बाद आदि की कोई बात मुझे समझ में नहीं आती। हम केवल ये समझते हैं कि ये आज हम सब का पापोदय है कि जिनके माध्यम से संसार से मुक्ति का रास्ता प्रशस्त होता है, वे ही आज बन्धन में हैं। ये आपसी लड़ाई की परिणति है। अगर सब लोग मिल-जुल करके उसके लिए सार्थक प्रयास करें तो अभी भी राह निकल सकती है।
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