आजकल उपाध्याय परमेष्ठी देखने को नहीं मिलते। इसका क्या कारण है? क्या आचार्य श्री के संघ में कोई उपाध्याय परमेष्ठी हैं?
आचार्य श्री के संघ में आचार्य श्री ऑल-इन-वन (all-in-one) हैं, वे आचार्य भी हैं, उपाध्याय भी हैं और साधु भी हैं। शास्त्र के विधानानुसार आज उपाध्याय के लिए 25 मूलगुण (11 अंग और 14 पूर्व का ज्ञान) बताए गए हैं, वैसा तो आज कोई है ही नहीं। बाद में हमारे कुछ शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि जो उस युग में उपलब्ध समस्त शास्त्रों का पारगामी हो वह उपाध्याय बनने के योग्य है। अतः उपाध्याय होने के लिए वर्तमान में उपलब्ध समस्त शास्त्रों का ज्ञाता होना जरूरी है और संघ में उससे अधिक ज्ञान किसी को नहीं होना चाहिए। वास्तव में ‘उपाध्याय का पद’ एक दायित्त्व है, डिग्री (degree) नहीं। जब तक आवश्यकता न हो तब तक नहीं देना चाहिए। आजकल जो होने लगा है, यह एक प्रकार से पद लिप्सा की अभिव्यक्ति है, हम लोग इसे पसन्द नहीं करते हैं।
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