शंका
रात में मंदिर की घंटी क्यों नहीं बजानी चाहिए?
समाधान
हमारा धर्म अहिंसा प्रधान धर्म है, हम खुद अहिंसा का पालन करते हैं और औरों से अहिंसा का पालन करवाते हैं। हम चाहते हैं कि हमारी वजह से किसी को कभी भी कोई तकलीफ़ न हो।
जब आप रात में मन्दिर जाते हो, घंटा बजाते हो घंटे की आवाज़ बहुत तेज़ होती है, उस घंटे को बजाने से आस-पास के जो पशु-पक्षी होते हैं, खासकर घोंसलों में रहने वाले जो पक्षी होते हैं उनको परेशानी होती है, उनको बहुत तकलीफ़ होती है, झटका सा लगता है। तो उनको तकलीफ़ न हो, इसलिए रात को घंटा नहीं बजाते। और जब हम रात में घंटा नहीं बजाते, तो रात में फटाके क्यों फोड़ें? सोचो कितना पाप लगेगा! पशु-पक्षी की बात तो दूर है, उसमें तो आदमी की भी जान चली जाती है। इसलिए अहिंसा के मर्म को समझो, दिन में घंटा बजाओ, रात में नहीं।
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