पसंद से मिली पत्नी पुण्य से मिले माता-पिता पर भारी क्यों?

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शंका

हमें माता-पिता पुण्य से मिलते हैं और पत्नी पसन्द से। कलयुग में पसन्द पुण्य पर भारी है। हम इस पर नियंत्रण कैसे करें?

समाधान

आप भी पसन्द करके ही लाए होंगे? पसन्द की हुई पत्नी दूसरी हो सकती है, पर माता-पिता दूसरे नहीं होते। बस इतनी बात समझ लो। इसीलिए जो पसन्द है उसे प्यार करो क्योंकि पसन्द करके लाये हो, पर जो तुम्हें पुण्य से मिला है उसकी पूजा करो। 

व्यक्ति को चाहिए पत्नी से प्रेम करे और माँ-बाप की पूजा। यदि इतनी समझ हो जाए, तो फिर कुछ गड़बड़ नहीं होगा।

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